क्रिकेट में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न या DLS नियम एक फॉर्मूला है। जिससे बारिश से बाधित हुए मैच में ओवर और टार्गेट घटाकर नया लक्ष्य तय किया जाता है। इंग्लैंड के स्टेटिक्स एक्सपर्ट फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने इसे तैयार किया था, जिनके नाम पर इसका पहली बार 1997 में उपयोग किया गया था।
क्या है DLS Method: क्रिकेट में जब खेल बारिश के चलते बाधित होता है, तो डकवर्थ-लुईस नियम (DLS) काम में लाया जाता है। इस नियम की मदद से बारिश के बाद बचे हुए समय में लक्ष्य का पीछा कर रही टीम को नया टार्गेट दिया जाता है।
जानते हैं कि क्या है DLS नियम?
क्रिकेट के शौकीन हैं तो डकवर्थ-लुईस नियम का नाम जरूर सुना होगा। लिमिटेड ओवर क्रिकेट में जब खेल बारिश के चलते बाधित होता है, तो डकवर्थ-लुईस नियम काम में लाया जाता है। इस नियम की मदद से बारिश के बाद बचे हुए समय में लक्ष्य का पीछा कर रही टीम को नया टार्गेट दिया जाता है। इसमें बचे हुए विकेट और बचे हुए ओवर दोनो को ध्यान में रखा जाता है। कम ओवर्स में नया टार्गेट कैसे तय किया जाता है, इसके पीछे एक जटिल मैथमेटिकल फॉर्मूला है।
कैसे शुरू हुआ DLS नियम?
डकवर्थ-लुईस-स्टर्न या DLS नियम एक फॉर्मूला है जिससे बारिश से बाधित हुए मैच में ओवर और टार्गेट घटाकर नया लक्ष्य तय किया जाता है। इंग्लैंड के स्टेटिक्स एक्सपर्ट फ्रैंक डकवर्थ और टोनी लुईस ने इसे तैयार किया था, जिनके नाम पर इसका पहली बार 1997 में उपयोग किया गया था. इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई अकादमिक स्टीव स्टर्न ने 2015 विश्व कप से पहले इस फॉर्मूले को अपडेट किया और उनका नाम भी इसमें जुड़ गया।
कैसे करता है काम?
इस नियम के तहत विकेट्स और ओवर्स दोनो को रिसोर्स माना जाता है। इनिंग की शुरूआत में टीम के पास ये दोनो रिसोर्स 100% होते हैं। इस फॉर्मूले से यह तय किया जाता है कि बारिश के कारण बाधित हुए मैच में किसी समय टीम ने अपना कितना रिसोर्स खर्च कर लिया है। अब एक विकेट या एक ओवर को पर्सेंटेज में कैसे बदला जाए, इसके लिए लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट के स्कोरिंग पैटर्न को भी पढ़ा जाता है।
बीते 4 वर्षों के अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट के स्कोरिंग पैटर्न को फॉर्मूले में इस्तेमाल किया जाता है। हर वर्ष 01 जुलाई को नया डाटा रिकार्ड में जोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि हर वर्ष DLS नियम और उन्नत होता जाता है।
क्या है गणितीय फॉर्मूला?
इस नियम से यह देखा जाता है कि पहले खेलने वाली टीम ने इतने ही रिसोर्स (मैच के बारिश से बधित होने तक) में कितना स्कोर बनाया होता।
इसका फॉर्मूला :-
टीम 2 का नया लक्ष्य = टीम 1 का स्कोर x (टीम 2 के रिसोर्स/ टीम 1 के रिसोर्स)
उदाहरण के लिए यदि बारिश की वजह से 2 टीमों के पास केवल 90 प्रतिशत रिसोर्स बचे हों। उसमें से पहली टीम ने 100 प्रतिशत संसाधन (यानी 50 ओवर में 10 विकेट खोकर) का उपयोग करके 254 रन बनाए हैं। ऐसे में दूसरी टीम को जीत के लिए पहली टीम की तुलना में नब्बे प्रतिशत ओवरों में नब्बे प्रतिशत रन ही बनाने होंगे। यानी दूसरी टीम को 45 ओवर में 229 रन बनाने का लक्ष्य मिलेगा। 228 रन पर स्कोर बराबर होगा। विकेट तो दूसरी टीम के पास भी 10 ही होंगे ऐसे में शुरुआत में केवल रन और ओवर की ही बात होती है विकेट कॉन्सटेंट होते हैं। लेकिन लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेटों के गिरते ही लक्ष्य भी बदलता जाता है। ये डकवर्थ लुईस नियम के काम करने का बेसिक तरीका है लेकिन और अधिक करीबी गणना के लिए कंप्यूटरीकृत आंकड़ों और फॉर्मूलों का उपयोग किया जाता है। गणित के सामान्य फॉर्मूले से वो गणना नहीं की जा सकती क्योंकि डकवर्थ-लुईस ने अपनी रिसर्च के कई आंकड़ों को कभी सार्वजनिक नहीं किया और उनके पास इसका पेटेंट भी है। ऐसे में बगैर आधिकारिक सॉफ्टवेयर के ये गणना नहीं की जा सकती।
स्टर्न ने किया था सुधार :-
यह लंबे समय तक महसूस किया गया कि DL मैथेड के तहत, बड़े टोटल का पीछा करने वाली टीमों को कम स्कोरिंग रेट पर खेलते हुए विकेट हाथ में रखने से फायदा मिल रहा था. स्टीव स्टर्न ने हाई स्कोरिंग एकदिवसीय और टी20 मैचों के स्कोरिंग पैटर्न को ध्यान में रखकर इसमें बदलाव किया और नया DLS नियम प्रभाव में आया
2015 में बदलकर डीएल से डीएलएस हो गया नाम :-
साल 2015 में डकवर्थ लुईस फॉर्मूला बदलकर डकवर्थ-लुईस-स्टर्न फॉर्मूला कर दिया गया। डकवर्थ और लुईस के की रिसर्च में क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव स्टर्न के द्वारा किए गए शोध को भी शामिल कर लिया गया जिसमें टीमों के लिए शुरुआत में लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेट बचाकर रखने के साथ-साथ तेजी से रन बनाने को भी शामिल किया गया है। जो कि टी20 मैचों के शुरू होने के बाद अहम बो गया। इसके बाद इसे डीएल की जगह डीएलएस मैथड कहा जाने लगा।