गुजरात के मोरबी जिले में मच्छु नदी पर बना हैंगिंग केबल ब्रिज (झूलता हुआ पुल) मोरबी की शान कहलाए जाने वाला ब्रिज 143 साल पुराना था। जो कि 30 अक्तूबर 2022 को टूटा और कई 'लोगों की मौत का काल' बन गया।
Pic BY Royal Collection Trust |
मोरबी ब्रिज के इतिहास के बारे में।
गुजरात के मोरबी जिले में मच्छू नदी पर बना यह हैंगिंग ब्रिज को मोरबी के राजा "वाघजी रावजी" ने बनवाया था। इस ब्रिज का उद्घाटन 1879 में किया गया था। वहीं यह भी बताया गया है कि इस पुल का उद्घाटन उस वक्त के मुम्बई शहर के गवर्नर (Richard Temple) के द्वारा किया गया था। ब्रिटिश के इंजीनियरों के द्वारा बनाए गए इस पुल निर्माण में तब की आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया था। ब्रिटिश शासन में इस ब्रिज के बनाने पर किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी गई। आधुनिक और अच्छे तरीके से इंजीनियरों ने इस ब्रिज का निर्माण किया था। उस वक़्त मोरबी ब्रिज के निर्माण में 3.5 लाख रूपये खर्च किये गये थे।
→ इस पुल की लंबाई 765 फुट और चौड़ाई 4 फुट के करीब थी ।
→ इस पुल का निर्माण दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ने के लिए किया गया था।
→ बताया जाता है कि मोरबी ब्रिज के जरिए ही राजा राजमहल से राज दरबार तक जाते थे।
→ राज कोट जिले से 64 किलोमीटर की दूरी पर मच्छू नदी पर बना है ये पुल।
→ एतिहासिक होने के कारण गुजरात टूरिज्म की लिस्ट में भी शामिल किया गया था।
→ इस पुल के निर्माण का श्रेय 19वीं शताब्दी के राजा वाघजी ने करवाया, जिन्होंने 1922 तक मोरबी पर राज किया था।
समय समय पर इस मोरबी पुल की मेंटेनेंस और निर्माण में करोड़ों ₹ खर्च होते हैं लेकिन फिर भी मोरबी पुल में 1 बार फिर से ऐसी दुर्घटना हुई जिसने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और मच्छू नदी मे कई जिंदगियां मौत से हार गई।
Morbi 43 yr ago pic |
बांध |
मच्छू नदी पहले भी 1 बड़ी आपदा देख चुकी है जिसे गुजरात अभी तक भूल नहीं पाया। 11 अगस्त 1979 को मछू नदी पर बना 1 बांध टूट गया जिससे करीब 1500 से भी ज्यादा लोग और 13 से 14000 के करीब इस में जानवर मारे गए थे। बताया जाता है कि लगातार बारिश के कारण नदी में बाढ़ आ गई और बाद में बांध टूट गया। जिस कारण ये आपदा आई थी। उस समय हर तरफ लोगों और जानवरों की मृत देह ही थी।
30अक्तूबर 2022 को हुए ब्रिज हादसे की कुछ तस्वीरें