आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग तरह की औषधियो का प्रयोग किया जाता है।
यह जान लेते हैं कि अश्वगंधा क्या होता है। (Introduction of Ashwagandha)
दरअसल अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। आयुर्वेदिक महार्षियों ने अश्वगंधा को ब्रह्म औषधि कहा है। ब्रह्म औषधि उस औषधि को कहा जाता है, जो शरीर के सभी तत्वों को बढ़ाती है, पौष्टिकता प्रदान करती है। इस ब्रह्म औषधि का सेवन करने से इसका गुण शरीर के रोम रोम तक पहुंच कर उसको एक नया जीवन प्रदान करता है। आयुर्वेदिक औषधियां का सेवन करने से जहां शरीर को उचित मात्रा में पोषक तत्व मिलता है वही व्यक्ति जल्द बुढ़ा नहीं होता।
आधुनिक चिकित्सा में इन गुणों वाली औषधीय (Nutritiouses) को कहते हैं।
ब्रह्म औषधीय शारीरिक क्रिया प्रणाली को धीरे-धीरे शक्ति और तत्व प्रदान करती है।
अश्वगंधा भी एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है, जो किसी कारणवश्यक कमजोर हुई जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए उत्तम साबित होती है।
ध्यान रखने योग्य बात :-
➢ सर्दियों की ऋतु में अश्वगंधा का सेवन दूध और घी के साथ करना चाहिए।
➢ गर्मी की ऋतु में इस औषधि का सेवन शतावर, मुलेठी या जीवंती का मिश्रण करके करना चाहिए।
➢ अश्वगंधा एक औषधि है, लेकिन इसकी मात्रा पर ध्यान
देना भी जरूरी है।
अश्वगंधा पौधे की पहचान :-
इसका झाड़ीदार बूटा 1 से 5 फीट तक ऊंचा होता है। टाहानियों के ऊपर सफेद रंग की लुई जैसी होती है। टाहानिया गोल आकार में चारों तरफ फैलती है।
इसके पत्ते इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं और धतूरे के पत्ते के साथ बहुत मिलते हैं पर आकर में उनसे छोटे होते हैं।
अक्सर 5 फुल गुच्छे के रूप में इस पर होते हैं।
इसके फल रस भरी वांगू छिलके में लिपटे होते हैं और पकाने के बाद लाल हो जाते हैं पर इनका आकार बहुत छोटा होता है।
छोटे पीले से जैसे फलियां के बीच बीजे जैसे गिनती में अनेक बीज होते हैं पर इनका आकार बहुत छोटा होता है।
इसकी जड़ ऊपर से धुएं रंगी अंदर सफेद होती है। इसीकी जड़ की लंबाई एक फीट से डेढ़ फुट तक होती है। छोटी उम्र के पौधे की जड़ का आकार भिंडी जैसा होता है इस जड़ का ऊपर ला छिलका पतला होता है लेकिन बड़ी उम्र के पौधे की जड़ का छिलका काफी मोटा होता है।
सर्दी की ऋतु में इस पौधे को फूल लगते हैं और उसके बाद फल लगते हैं। अधिक सर्दी में इसकी फसल की कटाई की जाती है।
मुख तौर पर अश्वगंधा दो तरह की होती है :-
➢बड़ी अश्वगंधा और छोटी अश्वगंधा
1. बड़ी अश्वगंधा की झाड़ी बड़ी होती है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली
होती हैं।
यह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में सामान्य रूप में पाई जाती है।
बड़ी अश्वगंधा देसी के नाम से भी अश्वगंधा के नाम से भी जानी जाती है।
इसकी जड़ में रेशे ज्यादा होते हैं
2. छोटी अश्वगंधा इसकी झाड़ी छोटी होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, लेकिन इसकी जड़ बड़ी होती
है।छोटी अश्वगंधा राजस्थान के नागौर में यह बहुत अधिक पाई जाती है इसीलिए इसको नागौरी अश्वगंधा भी कहते हैं।
इसकी जड़ में रेशे कम होते हैं।
अनेक भाषाओं में अश्वगंधा के नाम (Ashwagandha Called in Different Languages)
अश्वगंधा को लोग आम बोलचाल में असगंध के तौर पर जानते हैं, लेकिन देश-विदेश में इसको कई नाम से जाना जाता है।
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Hindi (ashwagandha in hindi) – असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
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English – Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous
gooseberry)
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Sanskrit – वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
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Oriya – असुंध (Asugandha)
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Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
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Kannada – अमनगुरा
(Amangura), विरेमङड्लनागड्डी
(Viremaddlnagaddi)
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Gujarati – आसन्ध (Aasandh),
घोडासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)
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Tamil – चुवदिग (Chuvdig),
अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)
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Telugu – पैन्नेरुगड्डु
(Panerugaddu), आंड्रा
(Andra), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
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Bengali – अश्वगन्धा
(Ashwagandha)
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Nepali – अश्वगन्धा
(Ashwagandha)
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Punjabi – असगंद (Asgand)
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Malyalam – अमुक्कुरम
(Amukkuram)
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Marathi (ashwagandha in marathi) – असकन्धा (Askandha), टिल्लि
(Tilli)
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Arabic – तुख्मे
हयात (Tukhme hayat), काकनजे
हिन्दी (Kaknaje hindi)
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Farasi – मेहरनानबरारी
(Mehernanbarari), असगंध-ए-नागौरी
(Ashgandh-e-nagori)
अश्वगंधा के फायदे – Benefits of Ashwagandha
1. अनिद्रा के लिए अश्वगंधा पाउडर के फायदे
आज के समय में अधिकांश लोगों को तनाव और डिप्रेशन की वजह से रात भर नींद नहीं आती है 2017 में जापान की त्सुकुबा यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा किए गए एक रिसर्च में कहा गया है। अश्वगंंधा के पत्तों में ट्राएथिलीन ग्लाइकोल नामक यौगिक होता है, जो गहरी नींद में सोने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर आप अनिद्रा से परेशान हैं तो अश्वगंधा पाउडर का सेवन नियमित करें.
2. आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा
तेजी से लोग आंखों से जुड़ी बीमारियां का शिकार हो रहे हैं। हैदराबाद के कुछ वैज्ञानिकों ने अश्वगंधा को लेकर शोध किया। उनके अनुसार, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर अश्वगंधा चूर्ण कर लें। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को सबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है।
जानवरों पर किए गए विभिन्न अध्ययनों में पाया
गया कि अश्वगंधा मस्तिष्क की कार्यप्रणाली और याददाश्त पर acha असर डाल सकता
है । जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अश्वगंधा लेने से नींद
भी अच्छी आ सकती है, जिससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और वह बेहतर तरीके से काम
कर सकता है ।